WhatsApp updates on cases: अब न्याय के अधिकार होंगे अधिक मजबूत, व्हाट्सएप अपडेट से मिलेगी सारी जानकारी
WhatsApp updates on cases
WhatsApp updates on cases: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से अधिवक्ताओं को कॉज लिस्ट, केस फाइलिंग और केस लिस्टिंग के बारे में जानकारी देना करना शुरू कर देगा। कॉज लिस्ट किसी विशेष दिन पर अदालत द्वारा सुनवाई के लिए निर्धारित मामलों की रूपरेखा तैयार करती है।
सर्वोच्च न्यायालय की छोटी सी पहल
चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लाइव लॉ के हवाले से कहा कि, “अपने अस्तित्व के 75वें वर्ष में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक छोटी सी पहल की शुरूआत की है। इसमें व्यापक प्रभाव डालने की क्षमता है। व्हाट्सएप मैसेंजर हमारे दैनिक जीवन में एक सर्वव्यापी सेवा रही है और इसने एक शक्तिशाली कम्युनिकेशन इक्विपमेंट की भूमिका निभाई है। न्याय तक पहुंच के अधिकार को मजबूत करने और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आईटी सेवाओं के साथ व्हाट्सएप मैसेजिंग सेवाओं (WhatsApp updates on cases) के एकीकरण की घोषणा की है। “
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कागज और हमारे ग्रह को बचाने में मदद
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-जजिस की पीठ ने याचिकाओं से उत्पन्न हुई एक जटिल कानूनी प्रश्न पर सुनवाई शुरू करने से पहले सीजेआई ने इस महत्वपूर्ण बात की घोषणा की थी।
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उन्होंने कहा कि अब अधिवक्ताओं को केस फाइलिंग के संबंध में ऑटोमेटेड मैसेज प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त, बार के सदस्यों को प्रकाशित होते ही उनके मोबाइल फोन पर कॉज लिस्ट भी प्राप्त होगी।
यह सुविधा और सेवा हमारी दैनिक कार्य आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। लाइव लॉ के अनुसार, “यह कागज और हमारे ग्रह पृथ्वी को बचाने में काफी मदद करेगा।”
इस कदम के बारे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा, “यह एक और क्रांतिकारी कदम है।”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक व्हाट्सएप नंबर भी प्रदान किया और स्पष्ट किया कि वह किसी भी संदेश या कॉल को स्वीकार नहीं करेगा।
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ई-कोर्ट परियोजना के लिए आवंटित हुए 7,000 करोड़ रुपये
CJI चंद्रचूड़ के मार्गदर्शन में, सुप्रीम कोर्ट सक्रिय रूप से न्यायिक कार्यों के डिजिटलीकरण को आगे बढ़ा रहा है। सीजेआई ने कहा कि सरकार ने ई-कोर्ट परियोजना के लिए 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मेहता ने litigants और वकीलों के लिए पहुंच में सुधार के लिए न्यायपालिका को डिजिटल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
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