What is Code Of Conduct: आज चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव और चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया है । इसी ऐलान के साथ ही देश भर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो चुकी है। यदि आपके मन में सवाल है कि आखिर आदर्श आचार संहिता क्या है तो हम आपको इस बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दे रहे हैं।
क्या है आचार सहिंता का उद्देश्य
भारतीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान होते हीदेशभर में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। आचार संहिता लागू होते ही चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए खास आदेश और निर्देश जारी होते हैं। सरल शब्दों में कहे तो आचार संहिता का मुख्य हेतु यानी कि उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव करवाना होता है।
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आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई
सभी इच्छा को राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को आचार्य संहिता के दिशा निर्देशों का सही तौर पर और शक्ति से पालन करना अनिवार्य होता है उसको अगर किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की तरफ से इन दिशा निर्देशों का उल्लंघन होता है तो चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई करता है। आचार संहिता का मुख्य हेतु राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों द्वारा वोटरों को लुभाने के लिए जाने वाले प्रयासों पर अंकुश लगाना होता है।
क्या है आदर्श आचार संहिता
आदर्श आचार संहिता (What is Code Of Conduct) चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के प्रचार पर रोकथाम के लिए चुनाव आयोग की तरफ से जारी दिशानिर्देशों का एक सेट होता है। आदर्श आदर्श आचरण संहिता का मुख्य हेतु मतदाताओं को लुभाने वाली या फिर वोटिंग प्रक्रिया को बाधित करने वाली किसी भी गतिविधि पर अंकुश लगाकर निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव करवाना होता है।
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क्या होते हैं बदलाव?
- चुनाव का ऐलान होते ही उम्मीदवारों को डोनेशन यानी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने से रोक दिया जाता है।
- सरकार किसी भी नहीं परियोजना या अन्य योजनाओं की आधारशिला रखने के लिए सक्षम नहीं रहती।
- इसके अलावा बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित कोई भी वादा अधिकारी भी नहीं कर सकते हैं।
- सार्वजनिक विभागों या सरकारी विभागों में मतदाताओं को प्रभावित करने वाली नियुक्तियों पर भी रोक लगा दी जाती है।
- उम्मीदवार या कोई भी मंत्री सरकारी निधि से भुगतान या अनुदान करने की सख्ती से मनाई होती हैं।
- चुनाव से संबंधित किसी भी प्रचार के लिए मशीनरी, ट्रांसपोर्टेशन ,सरकारी संसाधनों या सुरक्षा कर्मियों का सहारा लेने पर भी सख्ती लग जाती है।
- किसी भी सरकारी गेस्ट हाउस, डाक बंगले या अन्य किसी भी तरह की सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल कोई भी प्रत्याशी या राजनीतिक दल द्वारा चुनाव के लिए नहीं किया जा सकता।
- इसके अलावा सत्तारूढ़ दल के पक्ष में राजनीतिक कवरेज यानी न्यूज कवरेज की पेशकश के लिए आधिकारिक पब्लिक मीडिया का सहारा लेने पर भी सख्ती होती है।
- मतदाताओं को प्रभावित करने की प्रयास के लिए सांप्रदायिक भावनाओं या जात-पात का फायदा उठाना, मतदाताओं को डराने धमकाने, रिश्वत देने का प्रयास किया जाना या फिर अफवाहें फैलाने की प्रयास जैसी गतिविधियों पर भी सख्त मनाही होती है।
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जानें आदर्श आचार संहिता का इतिहास
पहली बार केरल में साल 1960 के विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता (History of Model Code of Conduct) लागू की गई थी। इसकी सफलता के बाद से ही साल 1962 के लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने इसे देश भर में पेश किया था। उस बाद साल 1991 के लोकसभा चुनावों में चुनाव मानदंडों के बार-बार उल्लंघनों और भ्रष्ट प्रथाओं पर व्यथित होकर चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता को और ज्यादा सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया था। उसे बात से ही हर चुनाव में आदर्श आचार संहिता लागू होती है।