एटा: गवाह को थाने में बैठाया, रातभर भूखा-प्यासा रखा… सुबह हो गई मौत

एटा। निधौली कला थाना क्षेत्र के गांव दलशाहपुर मे दो पक्षों में हुए झगड़े के बाद पुलिस वादी पक्ष और आरोपित को थाने ले आई। सुबह तबीयत खराब होने के बाद राकेश ने दम तोड़ दिया।

गांव दलशाहपुर के रहने वाले देवेंद्र सैनी और हुसैन बैंड बाजा में काम करते हैं। दोनों के बीच 5000 रुपए के लेनदेन को लेकर विवाद चल रहा था। दोनों के बीच रविवार शाम कहासुनी हो गई और झगड़ा होने लगा।

देवेंद्र के नाम पर मारा मुक्का

इस दौरान हुसैन ने देवेंद्र की नाक पर मुक्का मार दिया जिससे उसके चोटे आई। देवेंद्र ने डायल 112 पर फोन कर दिया तो पुलिस मौके पर पहुंच गई। देवेंद्र और हुसैन तथा घटना के गवाह राकेश को पुलिस रात को 10:30 बजे थाने ले आई।

देवेंद्र की पत्नी पहुंची तब बिगड़ी तबीयत

तीनों लोगों को पुलिस ने रात भर थाने में ही रखा जबकि दो लोग वादी पक्ष के थे। सोमवार को 11 बजे देवेंद्र की पत्नी अपने स्वजन को लेकर थाने पहुंची। तभी राकेश को चक्कर आ गया और वे गिर गए। पुलिस का कहना है कि तत्काल ही उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया जहां हालात और अधिक बिगड़ गई और वहां से मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। मेडिकल कालेज में चिकित्सकों ने राकेश को मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद पुलिस महकमे मे हड़कंप की स्थिति रही।

पुलिस पर लगाए भूखा रखने के आरोप

घटना के बाद देवेंद्र ने पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया कि रात को खाना नहीं दिया गया। भूख के कारण राकेश को चक्कर आया और उनकी मृत्यु हो गई। इस लापरवाही पर एसएसपी राजेश सिंह ने निधौली कला थाना प्रभारी निरीक्षक जेपी अशोक और मुंशी को निलंबित कर दिया।

एसएसपी राजेश सिंह ने बताया कि गर्मी अधिक थी और रात को बताया गया है कि थाने लाए गए लोगों को खाना नहीं दिया गया था इस कारण राकेश को चक्कर आया और उनकी मौत हो गई। इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। अगर और भी कोई पुलिसकर्मी दोषी होगा तो उसके विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

घटना को लेकर उठ रहे कई सवाल

थाने लाए गए गवाह की मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है की वादी पक्ष को आखिर रात में थाने में क्यों रोका गया। गवाह को पड़कर थाने लाने की क्या आवश्यकता थी। रात के समय ही मुकदमा क्यों दर्ज नहीं किया गया। सुबह एनसीआर दर्ज की गई है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में इतनी देरी क्यों की गई। मृतक के परिवार का कहना तो यहां तक है कि थाने में ही राकेश की मौत हो गई थी।

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