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रातों-रात बुलडोजर से घर तोड़ने की इजाजत नहीं, सभी राज्यों को सुप्रीम का आदेश

Supreme court on Bulldozer Action: सड़क बनाने के दौरान तोड़फोड़ की प्रक्रिया का ठीक से पालन करें। ढोल बजाकर लोगों को घर तोड़ने की सूचना नहीं दी जा सकती, नोटिस भेजें, प्राकृतिक न्याय का पालन करें: सुप्रीम

Supreme court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध तोड़फोड़ के मुद्दे पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई। साथ ही, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़कों को चौड़ा करते समय दबाव राहत प्रक्रिया का ठीक से पालन करने का आदेश दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया, जिसका घर गिराया गया था। कोर्ट ने मुख्य सचिव को अवैध तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि निर्देशों का पालन एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए।

Supreme court की उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार

Supreme court
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सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया । उन्होंने कहा कि आपको रातों-रात बुलडोजर लेकर पहुंचने और किसी की संपत्ति ढहाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। आपने परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं दिया, घर में जो सामान था उसका आपने क्या किया? पूरे मामले की जांच राज्य के मुख्य सचिव से करायी जाये और उचित कार्रवाई की जाये।

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2019 का है मामला

2019 में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक सड़क को चौड़ा करने के दौरान एक व्यक्ति का घर ध्वस्त कर दिया गया था।

इस मामले में बिल्डिंग मालिक ने बाद में Supreme court में अपील की, जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी कोई दबाव हटाया जाए तो नोटिस जरूर भेजा जाए। न्याय के सिद्धांत का भी पालन किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों ने तर्क दिया कि डिमोलिशन कानून का पालन किए बिना किया गया था।

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मकान गिराने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई

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पूरे इलाके में करीब 123 इमारतें ध्वस्त कर दी गईं थीं। सुप्रीम बेंच ने यूपी सरकार से पूछा कि आप इस तरह किसी का घर कैसे तोड़ सकते हैं? आपने नोटिस नहीं दिया, कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई और रातों रात बुलडोजर लेकर मकान गिरा दिए। आप सिर्फ ढोल बजाकर लोगों को इमारतें गिराने की सूचना नहीं दे सकते, आपको उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court on Bulldozer Action) ने आदेश दिया कि जो भी ठेकेदार या अधिकारी इन मकानों को गिराने के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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