Rights Of An Arrested Person: किसी भी देश की आंतरिक सुरक्षा पुलिस वालों पर ही निर्भर करती है। पुलिस व्यवस्था सभी प्रकार की शासन प्रणालियों में महत्वपूर्ण योगदान देती है। देश में शान्ति बनाये रखने के लिए पुलिस का अहम रोल है। लेकिन पूरे देश में अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि पुलिस किसी को भी अनावश्यक रूप से हिरासत में ले लेती है। लोगों को अवैध रूप से लॉकअप में बंद रखती है या थाने में घंटों तक बिठा कर रखती है।
यदि आप भी किसी कारणवश पुलिस थाने पहुंचते हैं, अथवा किसी वजह से गिरफ्तारी की नौबत आती है, तो आइए आपको बताते हैं ऐसे अधिकार (Rights Of An Arrested Person) जिनका उपयोग कर आप अपनी तकलीफ कम कर सकते हैंं। यह वह अधिकार हैं, जिनसे आपको पुलिस कार्यवाही को समझने में मदद मिलेगी।
गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार (Rights Of An Arrested Person)
सीआरपीसी की धारा 50 के अनुसार, भारत में प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार है। (Rights Of An Arrested Person) उस व्यक्ति को पुलिस से यह जानने का अधिकार होता है कि आखिर उसे क्यों गिरफ्तार किया गया है। किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस के लिए उसके रिश्तेदार या परिचित को उसकी गिरफ्तारी की सूचना देना आवश्यक होता है।
24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का अधिकार
गिरफ्तार करने के बाद पुलिस आपको केवल 24 घंटे तक ही हिरासत में रख सकती है, उसके बाद उसे मजिस्ट्रेट से परमिशन लेनी होगी। (Rights Of An Arrested Person)
वकील करने का अधिकार
अगर आपको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिए है तो आपको अपने लिए एक वकील को रखने का अधिकार है। (Rights Of An Arrested Person) वकील आपकी तरफ से कोर्ट में केस लड़ेगा और आपको निर्दोष साबित करने में मदद करेगा। अगर आपके पास वकील करने के पैसे नहीं है तो कोर्ट आपको केस लड़ने के लिए एक वकील नियुक्त करेगा।
चुप रहने का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) के अनुसार, चुप रहने का अधिकार इस सिद्धांत पर आधारित है कि किसी भी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। चुप रहने के अधिकार का मतलब है कि किसी भी संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति को अपने खिलाफ किसी भी तरह का साक्ष्य देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और अगर संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति पूछताछ के दौरान चुप रहता है, तो उसकी चुप्पी का कोई भी उलटा मतलब नहीं निकाला जा सकता है।
जमानत का अधिकार
सीआरपीसी की धारा 436 से 450 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत का अधिकार है। जमानती अपराधों के मामले में इस अधिकार का सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है। गैर जमानती अपराधों के लिए यह अधिकार न्यायालय के विवेक पर निर्भर है।
मानवीय व्यवहार का अधिकार
सीआरपीसी की धारा 50(1) के अनुसार, प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को हिरासत के दौरान गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार करने का अधिकार है। (Rights Of An Arrested Person) यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि अभियुक्तों सहित व्यक्तियों को हिरासत में रहने के दौरान किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक शोषण का सामना नहीं करना पड़े, जिससे अभियुक्तों के बुनियादी मानवाधिकारों को बरकरार रखा जा सके।
मेडिकल जांच का अधिकार
धारा 54 के मौजूदा प्रावधानों के तहत, यदि गिरफ़्तार किए गए किसी व्यक्ति को प्रताड़ित किया जाता है या उस पर हमला किया जाता है, तो वह मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने पर, मजिस्ट्रेट से अपने शरीर की चिकित्सा जांच के लिए अनुरोध कर सकता है ताकि यह स्थापित हो सके कि उसे यातना और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था।
सूर्यास्त के बाद नहीं कर सकते महिलाओं की गिरफ्तारी
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार ने कई ख़ास नियम बनाये हैं। (Rights Of An Arrested Person) किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। वहीं अगर कारण गंभीर है तो लिखित अनुमति के साथ-साथ पुलिस को किसी महिला पुलिसकर्मी को भी लेकर जाना होगा।