Petrodollar Deal: सऊदी अरब की चीन-रूस से बढ़ रही नजदीकियां! अब सऊदी बाजार में अमेरिका का दबदबा कम होता जा रहा है. सऊदी अरब अपने व्यापार क्षेत्र का विस्तार करते हुए रूस, चीन, जापान के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। इसी कड़ी में सऊदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका को एक और झटका दिया है। सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ अपने 50 साल पुराने पेट्रो-डॉलर सौदे को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है, जो 9 जून को समाप्त होने की खबरें हैं।
इस कदम को दुनिया भर में व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय अन्य मुद्राओं का उपयोग करने के प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है। इसका असर सीधे तौर पर अमेरिका पर देखने को मिल सकता है। यह समझौता दुनिया भर में अमेरिका की आर्थिक धाक के लिए एक बड़ी मिसाल थी, लेकिन इस समझौते की रिकरेंस का कोई संकेत नहीं है।
पेट्रो डॉलर डील क्या है?
As much as I'd like to believe this to be true, this 50-year expiry date on a petrodollar agreement is, as far as I can see and after quite a bit of research, purely made up (like many things this "BRICS News" account posts) 🤷♂️ https://t.co/951BbQJdPL
— Arnaud Bertrand (@RnaudBertrand) June 13, 2024
पेट्रो-डॉलर सौदा अमेरिका के व्यापार के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड से हटने के बाद अस्तित्व में आया। 1970 के दशक में इजरायली युद्ध के बाद जारी तेल संकट के बाद अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ पेट्रोडॉलर समझौता किया था। इस समझौते के तहत सऊदी अरब दुनिया भर में अपना सोना डॉलर में बेचेगा।
इस डील के बदले में अमेरिका ने सऊदी अरब को अपनी सुरक्षा गारंटी दी और इससे अमेरिका को कई फायदे मिले। एक तो ये कि उन्हें सऊदी तेल मिला। दूसरी दुनिया में उनका मुद्रा भंडार बढ़ने लगा। अंदरूनी सूत्र का कहना है कि यह डील अमेरिका के लिए विन-विन कंडीशन थी, यानी हर तरफ से जीत।
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डील ख़त्म होने के बाद कैसे बेचा जाएगा तेल?
सऊदी अरब दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है और कई देशों को अपना तेल बेचता है। सऊदी अरब अब अमेरिकी डॉलर के बजाय चीनी आरएमबी, यूरो, येन, रुपया और युआन समेत कई मुद्राओं में तेल बेचेगा।
चीन-रूस के साथ बढ़ रही नजदीकियां
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी अरब चीन और रूस के करीब आया है। यह बदलाव अमेरिका से लेकर मध्य पूर्व तक सुरक्षा में मतभेद के बाद आया है। उदाहरण के लिए, बिडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यमन के हौथिस को आतंकी लिस्ट से हटा दिया गया। हाल ही में गाजा युद्ध में अमेरिका की भूमिका को लेकर सऊदी शासन और अमेरिका के बीच मतभेद रहे हैं।
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अब क्या होग आगे ?
समझौते की समाप्ति के साथ, सऊदी अरब (Petrodollar Deal) अब युआन, यूरो, रूबल और येन जैसी करेंसी में तेल बेचने के लिए स्वतंत्र है, और वह बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी पर भी विचार कर रहा है।
यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए वैकल्पिक मुद्राओं के उपयोग की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है, जिससे संभवतः अमेरिकी डॉलर का वैश्विक प्रभुत्व कमजोर हो सकता है।
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डॉलर की वैश्विक मांग में गिरावट से मुद्रास्फीति, ब्याज दरें बढ़ सकती हैं तथा अमेरिका में बांड बाजार कमजोर हो सकता है, जो वैश्विक वित्तीय गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।