बहराइचः उत्तर प्रदेश के बहराइच में नायब तहसीलदार को अपनी प्राइवेट गाड़ी में लाल-नीली बत्ती लगाकर चलना भारी पड़ गया। ट्रैफिक पुलिस ने नायब तहसीलदार की गाड़ी का 2500 रुपये चालान काटा है। मिली जानकारी के अनुसार, दरगाह थाना क्षेत्रीय इलाके में मजिस्ट्रेट लिखी लाल नीली बत्ती लगी हुई एक गाड़ी को ट्रैफिक पुलिस ने रोका। गाड़ी में सवार होकर बहराइच जिले के मिहीपुरवा तहसील में तैनात नायब तहसीलदार जा रहे थे।
कार में सवार था सवार
यातायात निरीक्षक ने गाड़ी पर लाल नीली बत्ती लगे होने का औचित्य पूछा तो उन्होंने अपने आप को नायब तहसीलदार बताया। नायब तहसीलदार बलरामपुर की ओर जा रहे थे। गाड़ी में उनका परिवार भी सवार था। ट्रैफिक पुलिस को उन्होंने कहा कि वह मिहींपुरवा तहसील के नायब तहसीलदार हैं। वह परिवार के साथ कहीं जा रहे थे।
यातायात निरीक्षक ने काटा 2500 रुपये का चालान
गाड़ी का पीछा कर ट्रैफिक पुलिस ने लाल नीली बत्ती लगे होने के कारण कार का ढाई हजार रुपये का चालान काट दिया। ट्रैफिक पुलिस ने जब उनसे पूछा कि क्या आप प्राइवेट गाड़ी में लाल-नीली बत्ती लगाने के लिए अथराइज हैं तो उन्होंने कहा कि उन्हें गाड़ी हाई कोर्ट लेकर जाना होता है इसलिए लाल बत्ती लगाए हैं। इस पुलिस ने कहा कि आप इसे तत्काल गाड़ी पर से उतारिए। इस पर उन्होंने धीरे से कुछ कहा लेकिन ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि पहले गाड़ी का चालान होगा। इसके बाद बात करेंगे।
उत्तर प्रदेश राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ ने जताई नाराजगी
उधर, यातायात प्रभारी द्वारा नायब तहसीलदर की गाड़ी से लाल नीली बत्ती उतरवाने के मामले ने पकड़ा तूल पकड़ लिया है। अधिकारियों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। संघ ने डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि अरसलान-उर-रशीद नायब तहसीलदार मिहीपुरवा के साथ अभद्र व्यवहार किए जाने के मामले में ट्रैफिक पुलिस कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। संघ ने कहा कि तहसीलदार मिहीपुरवा सपरिवार जनपद मुख्यालय बहराइच पर कुछ आवश्यक कार्यवश आये हुए थे, जहां थाना कोतवाली देहात के पास डीहा में यातायात पुलिस द्वारा नायब तहसीलदार मिहीपुरवा की गाडी का पीछा कर ओवरटेक करते हुए इस आशय से रोका गया कि उनकी प्राइवेट गाडी पर नीली लाइट लगी हुई है।
नायब तहसीलदार को अपमानित करने का आरोप
नायब तहसीलदार द्वारा यातायात पुलिस प्रभारी/निरीक्षक को अनेन्द्र को अपना परिचय बताने और बत्ती हटाने व चालान कटवाने की सहमति देने के बावजूद पुलिस कर्मियों अभद्रता करते हुए वीडियो भी बनाया गया। घटना का बिना सक्षम अधिकारी के संज्ञानित कराये सोसल मीडिया में वायरल भी कर दिया गया जो राजपत्रित अधिकारी की निजता के अधिकार का हनन और राजपत्रित अधिकारी तथा उसके परिवार को अपमानित करने के उद्देश्य से कारित की गई है जो निन्दनीय है।