Haldiram on Sell: देश में ऐसा कौन है जिसने हल्दीराम के उत्पादों का स्वाद न चखा हो? अब विदेशी कंपनियां स्थानीय मसालों से बने उत्पाद खरीदना चाहती हैं। इसके लिए दुनिया की तीन बड़ी कंपनियों ने मिलकर बोली लगाई है।
नाश्ते, दोपहर की चाय और शाम के नाश्ते में हल्दीराम के चखने खाने से स्वाद बढ़ जाता है। देश में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने हल्दीराम के उत्पादों का स्वाद न चखा हो। लेकिन लगता है कि देसी स्वाद देने वाली ये कंपनी अब विदेशी हो जाएगी. हल्दीराम की बिक्री की अफवाहें अब तक कई बार सामने आ चुकी हैं, लेकिन पहली बार तीन प्रमुख विदेशी कंपनियों ने इसके पूरे कारोबार को खरीदने के लिए आधिकारिक तौर पर बोली लगाई है। हल्दीराम को खरीदने वाली कंपनियों में दुनिया की सबसे बड़ी इक्विटी निवेश फर्म ब्लैकस्टोन (Blackstone), अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी (Singapore state fund GIC) शामिल हैं। हल्दीराम के स्नैक्स बिजनेस की टोटल वैल्यूएशन 8.5 अरब डॉलर आंकी जा चुकी है।
कंसोर्टियम के हाथों चला जाएगा हल्दीराम का हक
87 साल पुरानी हल्दीराम स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड देश की सबसे पुरानी स्नैक्स कंपनी है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैकस्टोन ने दो अन्य कंपनियों के कंसोर्टियम के साथ मिलकर हल्दीराम का 76 फीसदी कारोबार खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए 8 से 8.5 अरब डॉलर (करीब 70 हजार करोड़ रुपए) की बोली लगाई गई है। अगर यह डील हो जाती है तो यह देश में अब तक की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी डील होगी।
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यदि हल्दीराम की ये डील (Haldiram on Sell) फाइनल होगी तो ब्लैकस्टोन के लीडरशिप वाले कंसोर्टियम के पास हल्दीराम का मालिकाना हक चला जाएगा। दूसरी ओर, हल्दीराम के सीईओ कृष्ण चुटानी समेत ब्लैकस्टोन, अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी ने फिलहाल इस डील के बारे में किसी भी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
कारोबार अलग कर रही कंपनी
हल्दीराम से जुड़ा कोई भी सौदा तभी पूरा हो सकता है जब उसके दिल्ली और नागपुर कारोबार का विलय हो जाए। इसके प्लान को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से भी मंजूरी मिल चुकी है। बिजनेस का मर्जर अगले 3 से 4 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। वर्तमान में, हल्दीराम परिवार अपने व्यवसाय के पुनर्गठन और पैकेज्ड फूड और रेस्तरां व्यवसायों को अलग कंपनियों में बदलने में व्यस्त है।
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हल्दीराम फूड इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (HFIPL), जिसकी अध्यक्षता नागपुर शाखा करती है और हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड (HSPL) दिल्ली के एक परिवार के पास है। दोनों का विलय कर हल्दीराम स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड (HSFPL) बनाया गया है।
किसकी कितनी हिस्सेदारी?
नवगठित कंपनी एचएसएफपीएल में मनोहर अग्रवाल और मधु सूदन अग्रवाल शामिल हैं। उनकी 55 फीसदी हिस्सेदारी है. कमलकुमार शिवकिशन अग्रवाल द्वारा संचालित नागपुर स्थित व्यवसाय में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंपनी का कारोबार 100 देशों में फैला हुआ है। जिसमें से उनके पास यूके, यूएस और जापान में भी फ्रेंचाइजी हैं।
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कितना बड़ा कारोबार
हल्दीराम करीब 500 तरह के पैकेज्ड उत्पाद बनाती है और 100 देशों में निर्यात करती है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी का कुल कारोबार 14,500 करोड़ रुपये था। साल 1937 में बीकानेर के रहने वाले गंगा बिशन अग्रवाल ने सबसे पहले हल्दीराम की नींव रखी थी।