देश में जनगणना के लिए हुआ CRS app, बदल जाएगा Census का पैटर्न
CRS app: पहली बार लोगों से धर्म के बारे में पूछे जाने की संभावना, जाति आधारित जनगणना पर कोई स्पष्टता नहीं: 2026 में शुरू होने वाला लोकसभा सीटों का परिसीमन 2028 में समाप्त होगा।
CRS app: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए एक नया मोबाइल एप्लिकेशन, सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) लॉन्च किया। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा विकसित इस ऐप से इन रजिस्ट्रेशन के लिए लगने वाला समय कम होने की उम्मीद है।
हर 10 साल पर होने वाली जनगणना 2011 के बाद 2021 में होना तय थी, किंतु कोरोना के कारण यह मुमकिन नहीं हुआ। अब खबरें हैं कि केंद्र सरकार साल 2025 में जनगणना कराने का मन बना चुकी है। अगले साल शुरू होने वाली जनगणना की प्रक्रिया साल 2026 तक जारी रह सकती है, जिसके बाद साल 2035 में दोबारा जनगणना कराई जाएगी।
CRS app पर विभिन्न भाषाओं में रजिस्ट्रेशन
अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट किया, “प्रशासन के साथ टेक्नोलॉजी को एकीकृत करने के लिए पीएम श्री @narendramodi जी के डिजिटल इंडिया विजन के तहत, नागरिक रजिस्ट्रेशन मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया गया।”
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केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यह ऐप (CRS app) जन्म और मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाएगा, जिससे नागरिक कभी भी, कहीं भी और अपने राज्य की आधिकारिक भाषा में पंजीकरण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे “रजिस्ट्रेशन के लिए लगने वाले समय में कमी आएगी।”
रजिस्ट्रार जनरल का विडियो
Under PM Shri @narendramodi Ji's Digital India vision to integrate technology with governance, launched the Civil Registration System mobile application today.
This application will make registration of births and deaths seamless and hassle-free by allowing citizens to register… pic.twitter.com/6VFqmIQXL9— Amit Shah (@AmitShah) October 29, 2024
उन्होंने पोस्ट के साथ भारत के रजिस्ट्रार जनरल का एक संक्षिप्त वीडियो भी साझा किया, जिसमें ऐप के इंटरफ़ेस को दिखाया गया है। इसमें बताया गया है कि CRS mobile app डिजिटल प्रमाणपत्र वितरण और विरासत रिकॉर्ड के ऑनलाइन डिजिटलीकरण को सक्षम बनाता है और यह आश्वासन देता है कि ऐप के मैनेजमेंट और मेंटेनेंस के लिए राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
लोकसभा सीटों का सीमांकन
जनगणना पूरी होने के बाद सरकार लोकसभा सीटों का सीमांकन कर सकती है। सीमांकन प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की संभावना है। विपक्ष जाति आधारित Census की मांग कर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक जाति आधारित जनगणना पर कोई फैसला नहीं सुनाया है। जिसका पालन करते हुए पिछली पद्धति के अनुसार जनगणना की जा सकेगी। वर्तमान में एससी, एसटी और सामान्य वर्ग की गणना के साथ धर्म, वर्ग पूछा जाता है। हालाँकि इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस धर्म को मानते हैं। जैसे कि कर्नाटक में सामान्य वर्ग से आने वाला लिंगायत समुदाय खुद को एक अलग संप्रदाय मानता है। इसलिए सरकार जाति और धर्म, के अलावा संप्रदाय को भी शामिल करने पर विचार कर रही है।
डिजिटल तरीके से Census
आजकल इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ गया है इसलिए जनगणना में डिजिटल तरीका अपनाया जाएगा। सरकार इसके लिए एक विशेष पोर्टल की भी घोषणा कर सकती है। लोगों से कुल 31 सवाल पूछे जाएंगे, जिसकी लिस्ट भी तैयार की जा रही है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर शेयर है कि क्या सरकार सभी जातियों की जनगणना करवाएगी? यदि सीमांकन होता है तो क्या यह उन राज्यों के साथ अन्याय नहीं होगा जो जनसंख्या वृद्धि को कंट्रोल में रखने में सफल रहे हैं? इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार को सर्वदलीय मीटिंग करके राय लेनी चाहिए। दक्षिण भारत के कई राज्यों और राजनीतिक दलों ने दावा किया है कि वे जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं। यदि सरकार जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सीटों का सीमांकन करती है, तो लोकसभा में दक्षिण भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
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जनगणना में पूछे जाएंगे ये सवाल
पूछे जाने वाले सवालों में यह भी सवाल शामिल है कि क्या घर की मुखिया महिला है? घर में कितनी कार या जीप या वैन है, कितने मोबाइल-स्मार्टफोन है, साइकिल, स्कूटर मोपेड है? घर में कितने कमरे हैं, घर में कितने शादीशुदा लोग हैं, किचन, एलपीजी-पीएनजी कनेक्शन, पानी, रेडियो, टीवी आदि के बारे में भी पूछा जा सकता है। स्वतंत्र भारत में पहली जनगणना (Census in India) साल 1951 में और आखिरी जनगणना साल 2011 में हुई थी।