CJI at D. P. Kohli Memorial Lecture 2024: CJI ने ‘तारीख पर तारीख’ सिस्टम पर जताई नाराजगी, कहा- ‘देश के दुश्मनों के खिलाफ जांच एजेंसियां…’
CJI at D. P. Kohli Memorial Lecture 2024: 20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए सीजेआई ने जांच एजेंसियों की तलाशी और जब्ती करने की शक्तियों और किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक न्यायपूर्ण समाज की नींव बनाने के लिए एजेंसियों के लिए खोज और जब्ती शक्तियों और व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि मुझे लगता है कि देश की जांच एजेंसियां एक साथ बहुत ज्यादा काम कर रही हैं, जिसमें वे फंस गई हैं। ऐसी स्थिति में एजेंसियों को अपनी लड़ाई चुनने की जरूरत है। यह जरूरी है कि जांच एजेंसियां ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई करें जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं।
देखें 20वां डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर
20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर( D. P. Kohli Memorial Lecture 2024) को संबोधित करते हुए सीजेआई ने जांच एजेंसियों की तलाशी और जब्ती करने की शक्तियों और किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक न्यायपूर्ण समाज की नींव बनाने के लिए एजेंसियों के लिए खोज और जब्ती शक्तियों और व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। कानूनी प्रक्रियाओं में देरी को न्याय में बाधा बताते हुए उन्होंने (CJI at D. P. Kohli Memorial Lecture 2024) मामलों के निपटारे के लिए सीबीआई की मल्टीडाइमेंशनल स्ट्रेटजी पर जोर दिया।
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डेट प्रथा से छुटकारा पाने की जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे कई लोग हैं जिन पर कानून का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप है और इससे उनके जीवन और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। कानूनी प्रक्रिया में देरी से न्याय तक पहुंच में बाधा बनी रहती है। सीबीआई मामलों के निपटारे में देरी को संबोधित करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है ताकि लंबित मामलों में देरी के कारण लोग न्याय से वंचित न हों।
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मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि छापेमारी की बढ़ती संख्या और निजी उपकरणों की अवैध जब्ती से पता चलता है कि जांच और लोगों के व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।
https://www.aninews.in/news/national/general-news/chief-justice-of-india-to-deliver-20th-d-p-kohli-memorial-lecture-on-cbi-raising-day20240331150302/
जांच प्रक्रिया का डिजिटलीकरण जरूरी
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी मामलों में देरी से छुटकारा पाने के लिए जांच प्रक्रिया का डिजिटलीकरण जरूरी है। इसकी शुरुआत एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया के डिजिटलीकरण से हो सकती है। उन्होंने कहा कि मामलों की अधिक संख्या को देखते हुए तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि काम में देरी कम से कम हो। उन्होंने कहा कि तकनीक ने अपराध की दुनिया को बदल दिया है और जांच एजेंसियों को बेहद जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की शिकायत है कि उनमें से सबसे अच्छे लोगों को सीबीआई अदालत में नियुक्त किया जाता है क्योंकि वे गहराई से काम करना चाहते हैं। लेकिन धीमी सुनवाई के कारण कई मामलों मे लोगों को न्याय मिलने की गति भी धीमी हो जाती है। सिस्टम में परिवर्तन करने के लिए हमें नए तकनीकी रूप से लेटेस्ट डिवाइसेज की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा है कि दरअसल अपराध बहुत तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में जांच एजेंसियों को अपनी क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए और मामलों को सुलझाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करना चाहिए। AI से बहुत कुछ बदल गया है। यह एजेंसी के लिए कठिन चुनौतियां खड़ी करता है।
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एआई आपराधिक न्याय क्रांति में गेम चेंजर – सीजेआई
उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया डिजिटल टेक्नोलॉजी के विस्तार से जुड़ी हुई है। साइबर अपराध से लेकर डिजिटल फ्रॉड और अवैध उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी के लगातार बढ़ते उपयोग तक, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को नई और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका समाधान करना महत्वपूर्ण है। सीजेआई ने एआई को आपराधिक न्याय क्रांति में गेम चेंजर बताया, लेकिन उन्होंने इस टेक्नोलॉजी के संभावित दुरुपयोग के बारे में भी बात की।
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