कानपुरः आपने खूंखार और आदमखोर बाघ के बारे में सुना होगा जो अपने शिकार पर हमला कर अपनी भूख मिटाते हैं. क्या कभी आपने ये सुना है कि एक बाघ हफ्ते में एक दिन व्रत रखता हो. 24 घंटे तक वह कुछ नहीं खाता-पीता. शायद नहीं, तो चलिए आज इस स्पेशल स्टोरी के जरिए हम आपको आज उस बाघ से रूबरू कराते हैं.
आपने शायद कानपुर प्राणिउद्यान का नाम सुना होगा. व्रत रखने वाला यह बाघ यहीं पर है. दरअसल इस चिड़ियाघर में बाघ, भालू, चीता समेत कई ऐसे वन्य जीव हैं जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. यहां जुलाई में हैदराबाद से सफेद बाघ, कछुआ समेत कई वन्य जीव आ रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये वन्य जीव आने के बाद यहां की खूबसूरती और बढ़ जाएगी.
इस प्राणिउद्यान के आकर्षण का मुख्य केंद्र यहां के बाघ हैं. इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक आते हैं. बाघ के बाड़े के आसपास दिनभर दर्शकों का हुजूम जमा रहता है. कानपुर प्राणि उद्यान प्रशासन का कहना है कि हफ्ते में एक दिन यह बाघ कुछ भी नहीं खाता-पीता है. वह 24 घंटे भूखा रहता है. बाघ एक तरह से व्रत रहता है.
कानपुर प्राणी उद्यान के उपनिदेशक और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि दरअसल, सप्ताह में एक दिन कानपुर जू में वन्यजीवों को खाना नहीं दिया जाता है. वन्यजीवों को एक दिन खाना न देने की वजह यह है कि उनका डाइजेशन काफी ठीक रहता है. जंगल में वन्यजीवों को घूमने के लिए काफी जगह होती है जबकि जू में उन्हें पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है. इस वजह से उन्हें हफ्ते में एक दिन व्रत रखवाया जाता है. इससे उनका पाचन तंत्र दुरूस्त रहता है.
ये जानवर रखते उपवास
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि सप्ताह में एक दिन मांसाहारी जानवरों का उपवास रखा जाता है इनमें शेर, बाघ, तेंदुआ, लोमड़ी लकड़बग्घा, सियार समेत कई जानवर शामिल है. उन्होंने बताया कि जू प्रशासन की ओर से इन जंगली जानवरों को स्वास्थ्य के हिसाब से मांस खाने को दिया जाता है. प्राणी उद्यान प्रशासन के द्वारा सप्ताह में एक दिन इन्हें मांस खाने को नहीं दिया जाता है ताकि ये स्वस्थ रहें.