जमानत के फैसले में एक दिन की देरी भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
Supreme court on delay bail: एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप में, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई करने में देरी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की आलोचना की थी। जमानत आवेदनों में देरी की आलोचना करते हुए इस बात पर बल दिया कि एक दिन की भी देरी नागरिकों के मौलिक अधिकारों को नुकसान पहुंचाती है तथा इससे बचा जाना चाहिए।
Supreme court on delay bail: सुप्रीम कोर्ट ने देश की विभिन्न अदालतों में लंबे समय तक बिना वजह जमानत याचिकाएं लंबित रहने के मुद्दे पर चिंता जताई। जस्टिस ने कहा कि जमानत अर्जी पर फैसला लेने में एक दिन की भी देरी से नागरिकों के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि हम जमानत याचिकाओं को सालों तक लंबित रखने की प्रथा को नजरअंदाज नहीं करते हैं।
जमानत में देरी मौलिक अधिकारों का उल्लघंन
Read more: इतिहास के पन्नों पर सिमटी Jet Airways, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला
अदालत ने याचिकाकर्ता वाजिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे द्वारा यह दलील दिए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की कि यद्यपि उनका मामला 01 अगस्त, 2023 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित है, फिर भी कोई प्रगति नहीं हुई है। वकील ने कहा कि मामले को बिना किसी प्रभावी सुनवाई के दिन-प्रतिदिन स्थगित किया जा रहा है।
Read more: रातों-रात बुलडोजर से घर तोड़ने की इजाजत नहीं, सभी राज्यों को सुप्रीम का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
याचिकाकर्ता (Supreme court on delay bail) की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और हाई कोर्ट के जज को मामले को 11 तारीख को निपटाने को कहा, अन्य कारणों से इसे दो हफ्ते में निपटाने का आदेश दिया है। हम संबंधित अदालत या न्यायाधीश से, जिसके समक्ष मामला रखा गया है, अनुरोध करते हैं कि वे मामले की शीघ्र सुनवाई करें और, किसी भी स्थिति में, 11 नवंबर, 2024 से दो सप्ताह की अवधि के भीतर मामले का फैसला करें।