Munawwar Rana : मशहूर उर्दू शायर नहीं रहे

Munawwar Rana उर्दू ज़बान के मशहूर शायरों में से एक थे और इनका इंतकाल रविवार की रात में दिल का दौरा पड़ने से हो गया। मुनव्वर राणा जी काफी समय से बीमार चल रहे थे।सोमवार के दिन उन्हें लखनऊ के ऐशबाग के कब्रिस्तान के सुपुर्द-ऐ-खाक  कर दिया गया।

Munawwar rana का आखिरी सफर

Munawwar Rana की शुरुआत :

मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर साल 1952 में उत्तर प्रदेश रायबरेली में हुआ था। भारत पाकिस्तान के बटवारे के दौरान इनके बहुत से नज़दीकी रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए भारत को छोड़कर परन्तु इनका परिवार भारत में ही रहा। मुनव्वर राणा के पिता का नाम अनवर राणा और माँ का नाम आयशा खातून है। इनका काफी समय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में बीता। मुनव्वर राणा की शादी रैना राणा से हुई। इनके 5 बच्चे है।

Munawwar Rana की पढाई:

मुनव्वर राणा का बचपन से लेकर जवानी का काफी समय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में बीता। इन्होने कोलकाता में बी.कॉम की पढ़ाई की और वही से उन्होंने उर्दू साहित्य के क्षेत्र में भी प्रवेश किया। मुनव्वर राणा के साहित्य पर अब्बास अली खान बेखुद और वाली आसी का प्रभाव साफ़ नज़र आता है। मुनव्वर राणा की शायरी का जूनून सर्फ भारत में ही नहीं बाहर के देशो में भी खूब मचा और अपनी एक अलग पहचान दुसरो से अलग बनायीं।

Munawwar Rana की शायरिया और शैली:

मुनव्वर राणा की शायरियो में आप हिंदी और अवधि शब्दों का प्रयोग पढ़ने वाले साफ़ देख सकते है। इन्होने ने कई रचनाये रची परन्तु सबसे प्रसिद्ध रचना “माँ” है जिसमे इन्होने एक माँ और बेटे के बीच के रिश्तो को बखूबी लिख आकर दिखाया। “माँ” नज़्म का उर्दू के साहित्य में एक अलग विशेष स्थान रखती है। मुनव्वर राणा की विभिन्न रचनाये निम्नलिखित है-

शाहदाबा – 2012

चहरे याद रहते हैं – 2007

बग़ैर नक़्शे का मकान – 2005

कहो ज़िल्ले इलाही से – 2001

बग़ैर नक़्शे का मकान – 2001

Munawwar Rana के पुरुस्कार:

मुनव्वर राणा को उर्दू साहित्य में योगदान के लिए साहित्य अकादमी पुरुस्कार(2014) मिला। जिसे इन्होने देश में कई हुई घटनाओ के बाद सरकार को वापस कर दिया।

उन्हें उर्दू साहित्य में उनकी सेवाओं के लिए शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से 2012 में  सम्मानित किया गया था।

Munawwar Rana का विवादों से नाता:

 CAA के खिलाफ:

मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने सरकार द्वारा लिए गए फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन पर पुलिस द्वारा F.I.R. दर्ज की गयी जिस पर मुनव्वर राणा ने कई सवाल खड़े किये।

किसान आंदोलन:

किसान आंदोलन के दौरान मुनव्वर राणा का दिया बयान काफी विवादों में रहा। मुनव्वर जी कहा था “संसद को गिराकर खेत बना दो, इस मुल्क के कुछ लोगो को रोटी तो मिलेगी। अब ऐसे ही बदलेगा मुकद्दर”। मुनव्वर जी के इस बयान की सभी वर्गों से घोर निंदा की गयी।

मुनव्वर राणा जी ने कहा था की अगर भाजपा सरकार दोबारा उत्तर प्रदेश में आयी तो वो राज्य छोर देंगे परन्तु दोबारा सरकार बनने के बाद मुनव्वर राणा जी खामोश रहे।

मुनव्वर राणा जी की आखिरी यात्रा में जावेद अख्तर सहित बहुत से दिग्गज लोग शामिल हुए

प्रतिक्रियाए:

नरेंद्र मोदी(भारत का प्रधानमंत्री)-

Narendra Modi and Munawwar Rana

श्री मुनव्वर राणा जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिलें।

जावेद अख्तर(मशहूर फिल्मो के लेखक)-

Jawed Akhtar and Munawwar Rana

आज भारत की उर्दू, शायरी और संस्कृति को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. यह नस्ल धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। पहले राहत साहब और अब मुनव्वर. उनकी भरपाई नहीं की जा सकती और मैं प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार और रिश्तेदारों को इस कठिन समय में साहस मिले।

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