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Mukhtar Ansari grandfather: देश के माथे पर चंदन की तरह मुख्तार अंसारी के पूर्वज, दादा स्वतंत्रता सेनानी और चाचा उपराष्ट्रपति.. जानें पूरा इतिहास

Mukhtar Ansari grandfather: बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी (mukhtar ansari) की गुरुवार शाम कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई है। जेल में उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गंभीर हालत में दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया गया था। जहां इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। डॉन मुख्तार अंसारी के परिवार के बारे में जानकर लोगों को यकीन नहीं होता कि मुख्तार जैसे माफिया किसी प्रतिष्ठित परिवार से जुड़े हुए थे।

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी कोई मामूली परिवार के नहीं थे बल्कि उनके दादा (Mukhtar Ansari grandfather) देश के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे । वहीं नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1948 में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए शहीद हो गए थे।

मुख्तार अंसारी का इतिहास

Mukhtar Ansari
Mukhtar Ansari

मुख्तार अंसारी का जन्म 3 जून 1963 को गाज़ीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम सुभानुल्लाह अंसारी और माता का नाम बेगम रबिया था। ग़ाज़ीपुर में मुख्तार अंसारी का परिवार एक प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति है। 17 साल से अधिक समय तक जेल में बंद रहे मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। गांधीजी के साथ काम करते हुए वे 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। मुख्तार अंसारी के जूनियर ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 के युद्ध में उनकी शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मुख्तार के पिता सुभानुल्लाह अंसारी ग़ाज़ीपुर में अपनी साफ़ छवि के साथ राजनीति में सक्रिय थे। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं।

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मुख्तार के नाम पर पूरा उत्तर प्रदेश फला-फूला

जैसे-जैसे मुख्तार बड़ा हुआ, उसने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपना नाम कमाना शुरू कर दिया। एक समय था जब पूरा उत्तर प्रदेश मुख्तार के नाम पर फल-फूल रहा था। पिछले 24 सालों में उन्होंने किसी न किसी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता है। बीजेपी को छोड़कर हर पार्टी ने मुख्तार को पार्टी की सदस्यता दी थी। मुख्तार का शराब, रेलवे ठेकों, खनन में दबदबा है जिसके बल पर उन्होंने अपना साम्राज्य खड़ा किया। हालांकि, मऊ के लोगों का कहना है कि मुख्तार ने अपने क्षेत्र में काफी विकास किया है। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, पुल-पुलिया और सड़कों पर उन्होंने विधायक निधि से 20 गुना ज्यादा खर्च किया हैं।

1996 में राजनीति में आये

1996 में मुख्तार को बसपा ने टिकट दिया। वे जीतकर विधानसभा पहुंचे! इसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी मऊ की जनता ने जीत हासिल करवाई। चौंकाने वाली बात यह है कि सलाखों के पीछे लड़ने के बावजूद उन्होंने 2007, 2012 और 2017 का चुनाव जीता।

देश के माथे पर चंदन की तरह मुख्तार अंसारी के पूर्वज

Mukhtar Ansari Grandfather
Mukhtar Ansari Grandfather

बेशक मुख्तार अंसारी के अपराधा का डंका पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में बज रहा था लेकिन मुख्तार अंसारी के पूर्वज (ancestors of mukhtar ansari ) इतने बड़े विद्वान थे कि आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे। मुख्तार अंसारी के परिवार से एक नहीं बल्कि कई ऐसे विद्वान पैदा हुए हैं जो हमारे देश के माथे पर चंदन की तरह है। उनके दादा डॉ. एम. ए अंसारी (Mukhtar Ansari grandfather) वे नाम हैं जो दश के राष्ट्रीय आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल रहे हैं। इसके अलावा वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1948 के जंग में पाकिस्तान को छक्के छुड़ाते हुए शहीद हुए थे। सिर्फ ये ही नहीं बल्कि पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी भी इसी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। चलिए आगे जानते हैं कि अंसारी परिवार की नामी हस्तियों के बारे में…

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मुख्तार अंसारी के परिवार में कौन-कौन

मुख्तार अंसारी का परिवार ग़ाज़ीपुर के पहले राजनीतिक परिवार के रूप में जाना जाता है। सिर्फ डर की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से भी मुख्तार अंसारी का परिवार इलाके के गरीब लोगों के बीच सम्मानित है। लेकिन शायद आप में से कम ही लोग जानते होंगे कि मऊ में अंसारी परिवार के सम्मान की एक और वजह है और वह है इस परिवार का गौरवशाली इतिहास। इस परिवार का प्रभाव स्तर शायद ही पहले के किसी भी परिवार जितना हो।

नाना नौशेरा एक युद्धा थे

मुख्तार अंसारी के दादा की तरह उनके दादा भी मशहूर हस्तियों में से एक थे. कम ही लोग जानते होंगे कि महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी के दादा थे। जिन्होंने 1947 के युद्ध में भारतीय सेना की ओर से न सिर्फ नवशेरा की लड़ाई लड़ी बल्कि देश को जीत दिलाकर लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गये।

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मुख्तार अंसारी के पिता नेता थे और चाचा उपराष्ट्रपति

परिवार की इस विरासत को मुख्तार के पिता सुभानुल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया। कम्युनिस्ट नेता होने के साथ-साथ सुभानुल्लाह अंसारी अपनी स्वच्छ छवि के कारण 1971 के नगर निगम चुनाव में निर्विरोध चुने गये। इतना ही नहीं भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के चाचा लगते हैं।

जामिया मिल्लिया की बुनियाद में प्रमुखता से योगदान

महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के प्रमुख नेताओं में डॉ. एम. ए. अंसारी ने बढ चढकर हिस्सा लिया था। असहयोग आंदोलन के दौरान वे जेल भी जा चुके थे। जब साल 1924 में देश में सांप्रदायिकता की आंच बढ़ती जा रही थी उस वक्त डॉ. अंसारी ही वो शख्स थे जो हिन्दू-मुस्लिम एकता के मुख्य स्तंभ थे। उन्होंने ही आगे आकर इस आंच को शांत किया था। डॉ. अंसारी देशवासियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के पैरोकार भी थे। इसलिए ही उन्होंने 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया की बुनियाद में प्रमुखता से योगदान दिया था । वे आखरी वक्त तक तक जामिया मिलिया इस्लामिया के चांसलर रहे थे। पुरानी दिल्ली के दरियागंज में उनके नाम पर अंसारी रोड भी मौजूद है। जहां एम्स है उसका नाम भी अंसारी नगर है। आजादी के अमृत महोत्सव पर सरकार ने भीउनके जीवन पर विशेष अभियान चलाया था।

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नाना ने ठुकराया था पाक चीफ बनने का ऑफर

बहुत कम जानते है कि मुख्तार अंसारी के नाना की वजह से राजौरी जिला हमारे देश का हिस्सा है। ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में एक छोटी टुकड़ी ने पाकिस्तान के एक हजार कबाइलियों को मार कर और नौशेरा को दोबारा अपने कब्जे में लिया था।‌ आजादी के तुरंत बादपाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया तो ब्रिगेडियर उस्मान को पुंछ और झांगर को मुक्त कराने का जिम्मा दिया गया। उन्होंने कसम खाई कि जब तक इस इलाके को पाकिस्तानी से आजाद नहीं कराएंगे साधारण सिपाही की तरह ही जमीन पर सोएंगे। ब्रिगेडियर उस्मान इस लड़ाई में सबसे आगे बने रहे। फाइनेंनशियल एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक उन्होंने (Brigadier Usman) सेना का उत्साह बढ़ाने के लिए ऐसी बात कही जो इतिहास में दर्ज हो गई। उन्होंने कहा, “सारी दुनिया की निगाहें हम पर है…देर-सबेर मौत तो आनी ही तय है। लेकिन जंग के मैदान में मरने से बेहतर और क्या है।”

एक हजार पाकिस्तानी को मारकर हुए थे शहीद

Mukhtar Ansari Grandfather
Mukhtar Ansari Grandfather

मोहम्मद उस्मान के नेतृत्व में राजौरी के नौशेरा को मुक्त कराने के अभियान में भारतीय सेना ने एक हजार पाकिस्तानी कबाइली को मार गिराया। सभी पाकिस्तानी वहां से भाग निकले। ब्रिगेडियर उस्मान को नौशेरा का शेर कहलाते है। इस घटना के बाद पाकिस्तान ने ब्रिगेडियर पर उस्मान की हत्या पर 50 हजार का ईनाम रखा था। 3 जुलाई 1948 की शाम को जब ब्रिगेडियर उस्मान ब्रिगेड मुख्यालय में जब टहल रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना ने गोलाबारी शुरू की और देश केसबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर युद्ध के मैदान में शहीद हो गए। मोहम्मद उस्मान को हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माने जाते है क्योंकि उन्होंने मुहम्मद जिन्ना द्वारा दिए गए पाकिस्तानी सेना प्रमुख के पद को भी ठुकर मार दी थी।

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बेटे ने किया देश का नाम रोशन

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Mukhtar Ansari son

एक तरफ जहां सालों की पारिवारिक विरासत तो दूसरी तरफ कई आरोपों से घिरे हुए डॉन मुख्तार अंसारी। लेकिन जब आप इसी परिवार की अगली पीढ़ी से मिलेंगे तो आप फिर एक बार हैरान होंगे। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी अंतरराष्ट्रीय शॉट गन शूटिंग खिलाड़ी हैं। दुनिया के शीर्ष दस निशानेबाजों में शामिल अब्बास न केवल एक राष्ट्रीय चैंपियन हैं। दरअसल, उन्होंने दुनिया भर में कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। लेकिन फिलहाल वे जेल में कैद है। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।

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