El Nino: 2024 में टूटेंगे गर्मी के सारे रिकॉर्ड! सूखे की मार से जिंदगी हो जाएगी त्रस्त
El Nino: भारत में साल 2024 जहां में सबसे ज्यादा ठण्ड रही वहीं अब भीषण गर्मी की मार झेलने के लिए लोगों को तैयार होना पड़ेगा। भारत में इस साल वसंत ऋतु कम समय तक रहने के आसार हैं। इसके बाद भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। हालांकि, इस कई जगहों पर अभी से गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अल नीनो (El Nino) प्रभाव के कारण इस बार भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है।
क्या है El Nino?
अल नीनो (El Nino) मौसम संबंधी एक विशेष घटना क्या स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। इसे ला-नीना के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य परिस्थितियों के दौरान, ट्रेड विंड्स भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर बहती हैं, जो समुद्र के गर्म पानी को साउथ अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। उस गर्म पानी को सामान्य करने के लिए, ठंडा पानी गहराई से ऊपर आता है। यह नेचुरल प्रक्रिया ही अल-नीनो (El Nino) और ला-नीना जैसे दो विपरीत जलवायु पैटर्न को जन्म देती है।
जब यह ट्रेड विंड्स सशक्त होती हैं तो ज्यादा गर्म पानी एशिया की तरफ खींच कर लाती है। जिसको ठंडा करने के लिए समुद्र की गहराई से ज़्यादा ठंडा पानी ऊपर खींच कर आता है। इसे वैज्ञानिक अल-नीनो (El Nino) के नाम से बुलाते हैं। इसके चलते एनवायरमेंट में एक कूलिंग प्रभाव बनता है। वहीं इसके विपरीत जब यह ट्रेड विंड्स कमजोर होती हैं तो यह बहुत कम मात्रा में गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। इसके चलते समुद्र की गहरायी से ठंडा पानी ऊपर नहीं आता और यह एक गर्म प्रभाव को जन्म देता है, जिसे ला नीना के नाम से जाना जाता है।
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साल 2024 होगा सबसे ज़्यादा गर्म
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा कि मार्च-मई के दौरान अल नीनो (El Nino) के बने रहने की लगभग 60% संभावना है। जिसकी वजह से साल 2024 सबसे गर्म वर्ष हो सकता है। इस वजह से भारत में सूखा भी पड़ सकता है। साथ ही यूएन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कटौती करने की भी अपील की है। इसको लेकर यूएन ने कहा था कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अल नीनो जैसी मौसमी घटनाओं के कारण सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।
जल संकट से जूझ रहा बेंगलुरु
गर्मी की शुरुआत के पहले ही बेंगलुरु पीने के पानी की कमी से जूझ रही है। यहां लाखों लोग पानी की कमी से परेशान हैं। बेंगलुरु के लोग पानी के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर हैं, लेकिन पानी की कमी को ये भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। (El Nino) शहर के कई इलाकों में जलापूर्ति ठप है। ऐसे में लोगों को निजी टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में बेंगलुरु की तकरीबन 60 फीसदी आबादी इन्हीं टैंकरों के सहारे पानी की कमी को पूरा कर रही है।
भारत में कब-कब देखा गया El Nino का प्रभाव?
2001 से 2020 के बीच भारत में 7 बार अल नीनो (El Nino) का प्रभाव देखा गया। इन 7 में से 4 बार (2003, 2005, 2009-10 और 2015-16) में देश में सूखे की स्थिति पैदा हो गई थी। इस दौरान खरीफ की फसलों के उत्पादन में क्रमश: 16 प्रतिशत, 8 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। इसका असर देशभर में मंहगाई बढ़ने के रूप में सामने आया था।इस बार भी ऐसा होने की संभावना है।