जब चांद पर नहीं है हवा, तो कैसे लहराया था अमेरिका का झंडा?
आज से करीब 54 साल पहले नासा का अपोलो 11 मिशन दो इंसानों को लेकर चांद पर पहुंचा था। इस यात्रा के दौरान कई रोचक किस्से सामने आए। सबसे रोचक किस्सा अमेरिकी झंडे का है।
अपोलो मिशन की सबसे यादगार तस्वीरों में से एक वह है जिसमें अंतरिक्ष यात्री चांद पर अमेरिकी झंडा फहराते हुए दिखते हैं।
लेकिन, अपोलो कार्यक्रम के दौरान पहले अमेरिकी झंडा ले जाने की कोई योजना नहीं थी। नासा संयुक्त राष्ट्र का झंडा चांद पर भेजना चाहता था।
अपोलो 11 मिशन लॉन्च होने से तीन महीने पहले अमेरिकी झंडा चांद पर फहराने का फैसला किया गया। नासा ने सरकारी कंपनी से एक अमेरिकी झंडे का ऑर्डर दिया।
इस झंडे की कीमत 5.50 डॉलर थी और यह नाइलॉन का बना था। इसे लगाने के लिए जो धातु का पोल खरीदा गया, उसकी कीमत 75 डॉलर थी।
धरती पर अभ्यास के दौरान नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन ने झंडा लगाने की भी प्रैक्टिस की थी।
लेकिन, जब वो चांद की सतह पर असली झंडा लगाने लगे, तो दिक्कत आई और ये सिकुड़ा ही रह गया।
इसकी वजह से कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि चांद पर हवा नहीं है तो झंडा लहराता हुआ कैसे दिख रहा है?
सवाल उठे कि क्या वाकई नासा ने इंसान को चांद पर भेजा भी या नहीं? दरअसल, सिकुड़ने की वजह से ही झंडा लहराता हुआ सा दिखने लगा था।
चंद्रमा से लौटते वक्त एल्ड्रिन ने कहा कि झंडा गिर गया। हालांकि बाद के अपोलो मिशन के लगाए हुए झंडे अभी भी चांद पर मौजूद हैं। चांद का चक्कर लगाने वाले नासा के एलआरओ सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें बताती हैं कि वाकई ये झंडा गिर गया था।
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