एक-दो नहीं भारत में 13 तरह से मनाई जाती है होली, दिलखुश कर देंगी तस्वीरें
भारत में होली मनाने का एक तरीका तो उत्तर भारत में फेमस है। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में 13 प्रकार से होली मनाई जाती है। आज हम आपको उन 12 प्रकार के बारे में बताएंगे।
काशी में महादेव अपने प्रिय गण, भूत, प्रेत, पिशाच आदि के साथ होली खेलने महाश्मशान आते हैं। बाबा मसाननाथ की विधिवत पूजा के साथ यहां होली का आगाज होता है।
हरियाणा में मनाई जाने वाली ये एक पारंपरिक होली है, जिसे भाभी-देवर होली के रूप में भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, हरियाणा में इसी दिन दही हांडी भी मनाई जाती है।
ब्रज में होने वाली होली करीब एक महीने तक चलती है। बरसाना में खेली जाने वाली लठ मार होली काफी लोकप्रिय है। बरसाना अपनी लड्डृ होली के लिए भी जाना जाता है, जिसमें लड्डू इधर-उधर फेंके जाते हैं और भक्ति गीत गाए जाते हैं।
वृंदावन में होली के दिन से पहले रंग खेलना शुरू होता है। यहां लोग कृष्ण मंदिरों में फूल, पवित्र जल और हर्बल रंगों से छिड़काव के बाद होली मनाई जाती है।
उत्तराखंड के कुमाउ क्षेत्र की ये होली ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यहां पर होली के कई प्रकार हैं। जैसे- बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली।
बिहार की फगुआ होली को भोजपुरी होली भी कहा जाता है। यहां रंगों के अलावा कीचड़ का भी इस्तेमाल होता है। साथ ही भोजपुरी बोली में गाए जाने वाले लोकप्रिय लोकगीतों की आवाज से यहां का माहौल और भी खुशनुमा हो जाता है।
पश्चिम बंगाल की ये होली बसंत उत्सव के नाम से मनाई जाती है। प. बंगाल के एक छोटे-से शहर शांति निकेतन में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले महिलाएं डोल जात्रा निकालने के बाद राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं। इसके अलावा दुर्गा पूजा पर बंगाल में सिंदूर होली भी खेली जाती है।
महाराष्ट्र में रंग पंचमी की शुरुआत होलिका दहन के बाद होती है। पूर्णिमासी दशमी पर सूर्यास्त के बाद ये कार्यक्रम होता है। अगले दिन, जिसे फाल्गुन कृष्णपक्ष पंचमी होती है, जिसे रंगपंचमी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से पूरनपोली डिश जरूर बनाई जाती है।
गोवा की शिगमो फेस्टिवल नामक होली पर्यटक और अन्य आगंतुकों के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है। इसमें स्थानीय लोग सुंदर पोशाक पहनकर जुलूस निकालते हैं और सड़क पर मस्ती से डांस करते हैं।
पंजाब में होला मोहल्ला का त्योहार अपने कलात्मक कलाकारों के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस पर्व की तारीख यहां चंद्र कैलेंडर के अनुसार तय होती हैं। इसका मुख्य कार्यक्रम आनंदपुर साहिब में होता है।
ओडिशा के तटीय क्षेत्र में का ये त्योहार डोला पूर्णिमा के दिन होता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को मंदिर से बाहर लाया जाता है ताकि भक्त उनके साथ होली खेल सकें।
केरल की इस होली को मंजुल कुली के नाम से जाना जाता है। ये गोसरीपुरम थिरुमा के कोंकणी मंदिर में मनाई जाती है। पहले दिन, भक्त मंदिर में आते हैं, दूसरे दिन एक दूसरे पर रंगीन पानी का छिड़काव करते हैं, जिसमें हल्दी होती है।
मणिपुर में भगवान 'पखंगबा' को श्रद्धांजलि देने के लिए 'यवोल शांग' नामक पर्व होता है। पांच दिन के इस त्योहार के आखिरी दो दिनों में लोग एक दूसरे पर पानी और रंग छिड़क कर इसे मनाते हैं।