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महामंडलेश्वर बनाए जाने के 6 दिन बाद एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी किन्रर अखाड़े से निष्कासित, आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण पर भी गाज

नई दिल्ली। करण अर्जुन फेम ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) को बड़ा झटका लगा है। हाल ही में महामंडलेश्वर बनीं ममता को किन्नर अखाड़ा से निष्काषित कर दिया गया है। किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास (Rishi Ajay Das) ने शुक्रवार को यह बड़ा फैसला लिया है। उनका कहना है कि बिना बताए लक्ष्मी नारायण ने ममता को महामंडलेश्वर बनाया है।

ममता कुलकर्णी करीब 25 साल बाद भारत लौटी हैं। वह महाकुंभ के लिए देश लौटीं और कुंभनगरी में किन्नर अखाड़ा के द्वारा महामंडलेश्वर बनाई गईं। हालांकि, एक हफ्ते के बाद ही ममता से महामंडलेश्वर का पद छीन लिया गया है। ममता के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Laxmi Narayan Tripathi) को भी महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया है।

ममता के महामंडलेश्वर बनने पर नाराज संस्थापक

30 जनवरी 2025 को किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए लिखा है कि बिना उनकी जानकारी के लक्ष्मी नारायण ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद दिया जो नैतिकता के खिलाफ था। ऋषि ने आगे कहा-

आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने असवैंधानिक ही नहीं बल्कि सनातन धर्म व देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोह के मामले में लिप्त महिला जो कि फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई है, उसे बिना किसी धार्मिक व अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा की बजाय की सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि व पट्टा अभिषेक कर दिया। जिस कारण से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देश हित सनातन एवं समाज हित में इन्हें पद मुक्त करना पड़ रहा है।”

ममता के इस कदम पर भड़के ऋषि

ऋषि अजय दास ने यह भी कहा है कि जब किसी को महामंडलेश्वर बनाया जाता है तो उन्हें वैजंती माला पहननी पड़ती है, लेकिन ममता ने रुद्राक्ष की माला पहनी थी जो संन्यास का प्रतीक है। उनका यह भी कहना है कि बिना मुंडन के संन्यास संभव नही है। उन्होंने कहा, “इस तरह यह सनातन धर्म प्रेमी व समाज के साथ एक प्रकार का छलावा कर रहे हैं।”

मालूम हो कि ममता कुलकर्णी ने संन्यास लेने के दौरान मुंडन नहीं कराया था। पट्टाभिषेक के दौरान वह गले में रुद्राक्ष की माला पहनी हुई नजर आई थीं।

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