करीब डेढ़ साल पहले भारत के अग्रणी कारोबारी समूहों में एक अडानी समूह के खिलाफ सनसनीखेज रिपोर्ट लाकर सुर्खियां बटोरने वाली फर्म हिंडनबर्ग फिर से चर्चा में है. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत में नया खुलासा करने का ऐलान किया है. उसके बाद से कयासों का बाजार गर्म है.
हिंडनबर्ग के अपडेट के बाद तेज हुए कयास
हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारतीय समय के अनुसार आज शनिवार की सुबह के करीब साढ़े पांच बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक छोटा अपडेट शेयर किया. अमेरिकी फर्म ने बस इतना ही लिखा- भारत, जल्दी ही कुछ बड़ा आने वाला है. यह अपडेट शेयर होते ही चर्चा के केंद्र में आ गया. सुबह के साढ़े नौ बजे तक एक्स पर हिंडनबर्ग के इस अपडेट को डेढ़ मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके थे और करीब साढ़े चार हजार बार रिपोस्ट किया जा चुका था.
पिछले साल आई थी अडानी पर रिपोर्ट
हिंडनबर्ग के इस अपडेट के बाद लोग कयास लगा रहे हैं कि अब उसका नया शिकार कौन होने वाला है. भारत में हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम पिछले साल की शुरुआत में उस समय चर्चा में आया था, जब उसने उस समय भारत व एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के कारोबारी समूह के खिलाफ विवादास्पद रिपोर्ट जारी की थी. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी उस रिपोर्ट में अडानी समूह के ऊपर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे, जिनमें शेयरों के भाव में हेर-फेर करने से लेकर कारोबार में गलत तरीके अपनाने जैसे आरोप शामिल थे.
अडानी का कर दिया 86 बिलियन डॉलर का नुकसान
अडानी समूह पिछले साल जनवरी में आई उस रिपोर्ट के बाद परेशानियों में घिर गया था. डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी अडानी समूह अभी तक हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से हुए नुकसान की पूरी तरह भरपाई नहीं कर पाया है. रिपोर्ट के चलते अडानी समूह के सभी शेयरों के भाव धराशाई हो गए थे. कई शेयरों पर तो एक महीने से ज्यादा समय तक लगभग हर रोज लोअर सर्किट लगता रहा था. समूह को बाजार पूंजीकरण में उस समय 86 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ गया था.
अब तक नहीं साबित हुए एक भी आरोप
हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च के तमाम आरोपों को अडानी समूह ने सिरे से खारिज किया था और उसे भारत के ऊपर हमला बताया था. बाद में बाजार नियामक सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच शुरू की, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने की. अब तक हिंडनबर्ग के द्वारा अडानी पर लगाए गए एक भी आरोप साबित नहीं किए जा सके हैं. इस कारण कई लोग ऐसा मानने लगे हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने जानबूझकर अडानी समूह को निशाना बनाया था और उसमें उसके निहित स्वार्थ थे.
यूजर करने लगे हिंडनबर्ग पर बैन की मांग
शॉर्ट सेलर फर्म के नए अपडेट पर खास तौर पर भारतीय यूजर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. कुछ यूजर तो यहां तक मांग कर रहे हैं कि भारत सरकार को हिंडनबर्ग रिसर्च का एक्स हैंडल भारत में बैन कर देना चाहिए, क्योंकि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म सिर्फ सनसनी बनाकर लोगों को नुकसान पहुंचाती है.
बहरहाल अब देखना यह है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पिटारे से अब क्या निकलने वाला है और अडानी के बाद किसका नंबर लगने वाला है.